नारायण का रूप ये नर है,
मन की जोत इसमें भी प्रखर है,
सकल सम्पदा का स्वामी यह,
जगती का अनुपम धरुहर है ।।
भव्य भूमि इस भारत में, भूत-भविष्य मध्यांतर में, आज कर्म की बेला है, आ जा प्यारे भारतवासी, चला-चली का मेला है. जय भारत और जय भारतीय
2/21/2016
परीक्षा की घड़ी
2/19/2016
पटना में उपचार
आदमी तो वही रहता है पर उसकी नींद रूठ जाती है ।
तमन्ना की असलियत नहीं बदलती है पर उसके मायने बदल जाते हैं ।
आदमी अपनी और उसकी तमन्ना के रूह को क्यों नहीं पहचानते जो उसके लिबास बदल जाते हैं ।
अब नींद भला सुलाने आए तो किसे चूंकि उसको बुलानेवाले ही बदल जाते हैं ।।
चंद्रकिशोर प्रसाद
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