भव्य भूमि इस भारत में, भूत-भविष्य मध्यांतर में, आज कर्म की बेला है, आ जा प्यारे भारतवासी, चला-चली का मेला है. जय भारत और जय भारतीय
मन सरल जब तन सरल में, तब प्रबल नर तेरा जीवन। सरल पथ पर सुगम गति जब, तब हो यात्रा सुफल सुन मन।।
मन सरल कर याद भुलाकर, ध्यान से तू कर सरल तन। छोड़कर प्रत्याशा सकल तू, मध्यमार्ग तू ग्रहण कर मन।।
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