11/15/2014

कविता की रचना

कविता का उद्वेग सरल,
जब भाव-प्रवण दिल होय प्रबल।
मुखरित अनुभव होय प्रकट तब,
अक्षर में ढल जाय सरल।।

10/29/2014

सरलता से सिद्धि

मन सरल जब तन सरल में,
तब प्रबल नर तेरा जीवन।
सरल पथ पर सुगम गति जब,
तब हो यात्रा सुफल सुन मन।।

मन सरल कर याद भुलाकर,
ध्यान से तू कर सरल तन।
छोड़कर प्रत्याशा सकल तू,
मध्यमार्ग तू ग्रहण कर मन।।

8/29/2014

गणराया

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8/12/2014

आज की बात

दौरा दौड़-दौड़कर दौरा नहीं देती।
वह तो एक शै है जो मचल जाया करती है।।

जो खुद खुदा है उसके लिए अलग से खुदा क्या लाऊँ।
यह सोचते ही हम सिमटकर रह गए।।

आपकी डांट को पाबंद की कूवत हमें कहाँ।
आप ही अपना चमन बसा लो या बाहर कर डालो।।

क्या-क्या मुरादें पालता है नामुराद-ए-दिल मेरा।
अफ़सोस कि नादान दिल अपने असबाब से ही बेखबर।।

8/09/2014

रक्षा-बंधन के अवसर पर

ऐ बहना तेरे भाई की,
कितनी करतूत निराली है।
होश नहीं है रिश्तों की,
कैसी वहशीपन छाई है।।

आड़ सदा ले रिश्तों की,
हरबार कलंक उठाई है।
गली-मोहल्ले की मिठास को,
उसने कितनी कडवा की है।।

कहाँ हुमायूं-कर्णावती की,
लोग मिसालें देते थे
आज सगी बहनों की अस्मत,
भाई सगा दागित की है।।

ठहरो, सुधरो, हुल्लड़बाजों,
ये कसी नादानी है।
माँ-बहनों से ही जगती यह,
सुन्दर-सजल निशानी है।।

8/08/2014

मन मस्त हुआ तब कौन बोले!

मनुष्य जब पूर्णतया अपने भीतर स्थित हो जाता है तो वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं रह जाता। धीरे-धीरे वह दुनिया के लिए अजनबी बन जाता है। शुरू-शुरू में तो यह बात उसे खुद भी अखरती है, पर समय के साथ वह इसका अभ्यस्त हो जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि चाहत खत्म हो जाती है। बस वह वह हो जाता है।

7/06/2014

मन है तो जीवन है


मन है तो जीवन है

जीवन-धन अनमोल है,
जीवन की सुधि लेय,
केवल मन का मोल है,
मन साँचा करि लेय.

मन से मानव बना महान,
मन से उपजा सकल जहान,
मन का खेल सकल विज्ञान,
मन की महिमा को करे बखान.

मन से जीवन मन में जीवन,
मन का रस अमृत नित पीवन,
जुगता मन को जिसने निज जीवन,
जयति-जयति उस नर का जीवन.
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6/28/2014

तन्हाई की शहनाई

मैंने भी खयालातों में बसाया था तुझे
मैंने भी अहसासों से सहलाया था तुझे    
गर तूने महसूस न किया तो मेरी क्या खता
अपने जज्बातों के झूले में झुलाया था तुझे।

क्या होता गर तू न होता
कशिश-ए-प्यार का आमद नहीँ होता
क्या होता इन आरजू और तमन्नाओं का        
गर तेरे आमद से ये घर रोशन नहीं होता।

3/09/2014

चुनाव के अवसर पर

सभी वोटरों से निवेदन 

सबदल हालत एक समान 
              बीजेपी में घमासान 
वोटर हो जा सावधान 
              आदमी देख करो मतदान 
 
             प्रजातंत्र का होगा सम्मान.

3/07/2014

विश्व महिला दिवस पर मेरा स्नेह-सुमन

म-   महिला, माता, ममता, मैत्री,
       मधुर, मृदुल, मतिगत्यभिनेत्री॥

हि-    हिम्मत, हसरत, हास्यकारिणी,
         हृदयेशा, हर हिय, हरिभामिनी॥

ला-   लाजवती, ललिता, लावण्या,
        लक्ष्मी, लाड़लि, लतिकारण्या॥

सविनय-
चन्द्रकिशोर

3/06/2014

My photo

Need of self-restraint

The AAP members must learn one more thing i.e. self-restraint. Please remember, no victory can be achieved if you lack it in you. Be best of luck.

3/05/2014

Election

Jung ka bigul fuk gaya. Utho, taiyaar ho jaao. Ek-dedh mahine baad fir paach saal ke lie sonaa padega. Sambhal jaao, kaheen bekhayaalee me fir thag ko hi apnaa paharedaar na banaa baitho.

Dhanyavaad.

3/04/2014

सहारा

Sahaaraa ke saath-saath aur bhee hajaaron aise kes saamne aae hain jisne hamaaree kaanoonee pechidagee ko ujagar kiyaa hai. Vaise to aam aadmi yah dekhkar khush ho saktaa hai ki is desh men abhee bhee kaanoon jindaa hai. Lekin us aam aadmee ki samajh men na to maamla saaf hai aur na hi apraadhee ko dabochne vaale kaanoon ki baareekiyon kaa koee pataa hai. Isee kaaran aksar apraadhee chhootte aur nirdosh sisakte bhee paae jaate hain. AtaH, aaj is baat ki jaroorat aa pari hai ki kaanoonon ko saral banaakar ise paardarshee banaayaa jaae.