कविता का उद्वेग सरल,
जब भाव-प्रवण दिल होय प्रबल।
मुखरित अनुभव होय प्रकट तब,
अक्षर में ढल जाय सरल।।
मन है तो जीवन है
जीवन-धन अनमोल है,
जीवन की सुधि लेय,
केवल मन का मोल है,
मन साँचा करि लेय.
मन से मानव बना महान,
मन से उपजा सकल जहान,
मन का खेल सकल विज्ञान,
जीवन की सुधि लेय,
केवल मन का मोल है,
मन साँचा करि लेय.
मन से मानव बना महान,
मन से उपजा सकल जहान,
मन का खेल सकल विज्ञान,
मन की महिमा को करे बखान.
मन से जीवन मन में जीवन,
मन का रस अमृत नित पीवन,
जुगता मन को जिसने निज जीवन,
जयति-जयति उस नर का जीवन.
मन से जीवन मन में जीवन,
मन का रस अमृत नित पीवन,
जुगता मन को जिसने निज जीवन,
जयति-जयति उस नर का जीवन.
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