8/08/2014

मन मस्त हुआ तब कौन बोले!

मनुष्य जब पूर्णतया अपने भीतर स्थित हो जाता है तो वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं रह जाता। धीरे-धीरे वह दुनिया के लिए अजनबी बन जाता है। शुरू-शुरू में तो यह बात उसे खुद भी अखरती है, पर समय के साथ वह इसका अभ्यस्त हो जाता है। सबसे बड़ी बात यह कि चाहत खत्म हो जाती है। बस वह वह हो जाता है।

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