दौरा दौड़-दौड़कर दौरा नहीं देती।
वह तो एक शै है जो मचल जाया करती है।।
जो खुद खुदा है उसके लिए अलग से खुदा क्या लाऊँ।
यह सोचते ही हम सिमटकर रह गए।।
आपकी डांट को पाबंद की कूवत हमें कहाँ।
आप ही अपना चमन बसा लो या बाहर कर डालो।।
क्या-क्या मुरादें पालता है नामुराद-ए-दिल मेरा।
अफ़सोस कि नादान दिल अपने असबाब से ही बेखबर।।
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