2/19/2016

पटना में उपचार

आदमी तो वही रहता है पर उसकी नींद रूठ जाती है ।
तमन्ना की असलियत नहीं बदलती है पर उसके मायने बदल जाते हैं ।
आदमी अपनी और उसकी तमन्ना के रूह को क्यों नहीं पहचानते जो उसके लिबास बदल जाते हैं ।
अब नींद भला सुलाने आए तो किसे चूंकि उसको बुलानेवाले ही बदल जाते हैं ।।



चंद्रकिशोर प्रसाद

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